वक्फ बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: यथास्थिति बरकरार, केंद्र को 7 दिन का समय
सुप्रीम कोर्ट ने आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय दिया। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति न करने और 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों को डिनोटिफाई न करने का निर्देश दिया।
कोर्ट
ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
के आश्वासन को दर्ज किया
कि अगली सुनवाई तक
वक्फ संपत्तियों, जिनमें 'वक्फ बाय यूजर'
शामिल हैं, की स्थिति
में कोई बदलाव नहीं
होगा। कोर्ट ने यह भी
स्पष्ट किया कि वक्फ
कानून पर पूरी तरह
रोक नहीं लगाई जा
सकती लेकिन गैर-मुस्लिमों को
वक्फ बोर्ड में शामिल करने
जैसे कुछ प्रावधानों पर
अंतरिम रोक लगाई गई
है।
सुनवाई
के दौरान CJI खन्ना ने वक्फ कानून
के दुरुपयोग की संभावना को
स्वीकार किया, लेकिन 'वक्फ बाय यूजर'
की वास्तविकता पर भी जोर
दिया। कोर्ट ने बुधवार को
गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड
में शामिल करने के केंद्र
के तर्क पर सवाल
उठाया था, पूछा था
कि क्या हिंदू धार्मिक
ट्रस्ट में मुस्लिमों को
शामिल किया जाएगा।
वक्फ
कानून के खिलाफ 70 से
अधिक याचिकाएं दायर की गई
हैं जिनमें ऑल इंडिया मुस्लिम
पर्सनल लॉ बोर्ड, AIMIM और
अन्य संगठन शामिल हैं। कोर्ट ने
पांच मुख्य याचिकाओं को सुनवाई के
लिए चुना है और
अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित
की है।
मुर्शिदाबाद
में वक्फ कानून के
विरोध में हुई हिंसा
पर भी कोर्ट ने
चिंता जताई, जिसमें तीन लोगों की
मौत हुई थी। CJI ने
कहा "हिंसा बहुत परेशान करने
वाली है।"
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता पर चल रही सुनवाई ने इस मुद्दे की जटिलता और संवेदनशीलता को उजागर किया है। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने और केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए समय देकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने जैसे प्रावधानों पर अंतरिम रोक और हिंसा पर चिंता व्यक्त करना इस मामले के सामाजिक प्रभाव को दर्शाता है। अगली सुनवाई 5 मई को होगी, जिसमें इस कानून के भविष्य पर महत्वपूर्ण निर्णय की उम्मीद है।
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