![]() |
पोप फ्रांसिस की मृत्यु: एक युग का अंत |
रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप और विश्व के 1.4 अरब कैथोलिकों के आध्यात्मिक नेता पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन ने पुष्टि की कि पोप फ्रांसिस की मृत्यु सोमवार सुबह 7:35 बजे (स्थानीय समय) वेटिकन के कासा सांता मार्ता में स्ट्रोक और हृदय गति रुकने के कारण हुई। यह दुखद समाचार ईस्टर संडे के एक दिन बाद आया जब पोप ने अपनी अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति में सेंट पीटर्स स्क्वायर में उपासकों को आशीर्वाद दिया था।
पोप
फ्रांसिस जिनका असली नाम जॉर्ज
मारियो बेर्गोग्लियो था, पहले लैटिन
अमेरिकी पोप थे। 13 मार्च
2013 को पोप बेनेडिक्ट XVI के
इस्तीफे के बाद वे
कैथोलिक चर्च के प्रमुख
बने। अपने 12 साल के कार्यकाल
में उन्होंने अपनी सादगी, करुणा
और प्रगतिशील विचारों के लिए वैश्विक
पहचान हासिल की।
"प्रिय
भाइयों और बहनों, हैप्पी
ईस्टर," - पोप फ्रांसिस ने
अपने अंतिम ईस्टर संदेश में कहा, जो
उनकी मृत्यु से एक दिन
पहले दिया गया था।
स्वास्थ्य चुनौतियाँ
और
अंतिम
दिन
पोप
फ्रांसिस लंबे समय से
स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे
थे। युवावस्था में उनके एक
फेफड़े का हिस्सा हटा
दिया गया था, और
हाल के वर्षों में
उन्हें उच्च रक्तचाप, मधुमेह
और श्वसन संबंधी समस्याओं का सामना करना
पड़ा। फरवरी 2025 में, उन्हें ब्रोंकाइटिस
के कारण रोम के
जेमेली अस्पताल में भर्ती किया
गया था, जो बाद
में दोनों फेफड़ों में निमोनिया में
बदल गया। चार दिन
बाद, वेटिकन ने खुलासा किया
कि पोप को द्विपक्षीय
निमोनिया का निदान हुआ
था।
हालांकि
उनकी स्थिति में शुरुआती सुधार
के संकेत दिखे, लेकिन उनकी सेहत धीरे-धीरे बिगड़ती गई।
अस्पताल में 38 दिन बिताने के
बाद, वे वेटिकन लौटे,
लेकिन उनकी शारीरिक स्थिति
कमजोर बनी रही। अपनी
कमजोरी के बावजूद, पोप
ने ईस्टर उत्सव में भाग लिया
और सेंट पीटर्स स्क्वायर
में अपने व्हीलचेयर से
भक्तों का अभिवादन किया।
पोप फ्रांसिस की
विरासत
पोप
फ्रांसिस को उनकी सादगी
और गरीबों, हाशिए पर पड़े लोगों
और आप्रवासियों के प्रति उनकी
प्रतिबद्धता के लिए याद
किया जाएगा। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता और धार्मिक संवाद
को बढ़ावा देने के लिए
कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी
2015 की एनसाइक्लिकल लौडाटो सी' ने जलवायु
परिवर्तन और पर्यावरणीय जिम्मेदारी
पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने
समलैंगिक लोगों के प्रति चर्च
के रवैये को नरम करने
की कोशिश की और कहा,
"मैं उन्हें जज करने वाला
कौन होता हूँ?" हालांकि,
उन्होंने गर्भपात को "गंभीर पाप" माना, लेकिन पश्चाताप करने वाली महिलाओं
को माफ करने की
अनुमति दी। उनकी ये
टिप्पणियाँ और निर्णय चर्च
के रूढ़िवादी और प्रगतिशील दोनों
वर्गों में विवाद का
विषय बने।
पोप
फ्रांसिस ने 68 देशों की यात्रा की
और शांति, एकता और मानव
बंधुत्व के संदेश को
बढ़ावा दिया। उनकी एनसाइक्लिकल फ्रातेली
तुत्ती ने सेंट फ्रांसिस
ऑफ असिसी की शिक्षाओं से
प्रेरणा लेते हुए वैश्विक
एकजुटता और शांति निर्माण
में धर्मों की भूमिका पर
जोर दिया।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
पोप
फ्रांसिस की मृत्यु की
खबर ने विश्व भर
में शोक की लहर
दौड़ा दी। अर्जेंटीना के
राष्ट्रपति जेवियर माइली ने सात दिन
के राष्ट्रीय शोक की घोषणा
की और पोप के
अंतिम संस्कार के लिए रोम
की यात्रा करने की योजना
बनाई। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी
अल्बनीस ने अपनी चुनावी
गतिविधियाँ स्थगित कर दीं और
कहा, "पोप फ्रांसिस इस
सदी के सबसे प्रभावशाली
नेताओं में से एक
थे।"
भारत
में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप
के निधन पर शोक
व्यक्त करते हुए कहा,
"पोप फ्रांसिस की करुणा और
मानवता ने विश्व भर
में लोगों को प्रेरित किया।"
वेटिकन में नए पोप
के चयन में चार
भारतीय कार्डिनलों की भूमिका को
भी महत्वपूर्ण माना जा रहा
है।
Deeply pained by the passing of His Holiness Pope Francis. In this hour of grief and remembrance, my heartfelt condolences to the global Catholic community. Pope Francis will always be remembered as a beacon of compassion, humility and spiritual courage by millions across the… pic.twitter.com/QKod5yTXrB
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2025
अंतिम संस्कार
और
उत्तराधिकारी
वेटिकन
के अनुसार, पोप फ्रांसिस के
अंतिम संस्कार की तारीख मंगलवार
को कार्डिनल्स की बैठक में
तय की जाएगी, जो
उनकी मृत्यु के चार से
छह दिन बाद होगी।
पोप ने अपनी वसीयत
में इच्छा व्यक्त की थी कि
उन्हें रोम के सांता
मारिया मेजर बेसिलिका में
दफनाया जाए, न कि
सेंट पीटर्स बेसिलिका में, जैसा कि
परंपरा रही है।
उनके
निधन के बाद, कार्डिनल्स
का एक गुप्त सम्मेलन
(कॉन्क्लेव) जल्द ही शुरू
होगा, जिसमें अगले पोप का
चयन किया जाएगा। इस
प्रक्रिया में गोपनीयता और
परंपरा का विशेष ध्यान
रखा जाता है, और
यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अगला
पोप कौन होगा।
निष्कर्ष
पोप
फ्रांसिस का निधन न
केवल कैथोलिक चर्च के लिए,
बल्कि पूरी दुनिया के
लिए एक बड़ी क्षति
है। उनकी सादगी, करुणा
और शांति के प्रति समर्पण
ने उन्हें "लोगों का पोप" बनाया।
जैसा कि विश्व उनके
निधन पर शोक मना
रहा है, उनकी शिक्षाएँ
और विरासत आने वाली पीढ़ियों
को प्रेरित करती रहेंगी।
"वह
एक सच्चे पिता की तरह
थे, जिन्होंने कमजोरों की रक्षा की
और चर्च को करुणा
का चेहरा दिया।" - सेंट पीटर्स स्क्वायर
में एक उपासक।
Hi Please, Do not Spam in Comments