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नेशनल हेराल्ड केस: गांधी परिवार पर ईडी का शिकंजा, सियासत में भूचाल |
नेशनल हेराल्ड केस ने एक बार फिर भारतीय राजनीति को हिलाकर रख दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस की धुरी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर की है। यह कदम गांधी परिवार के लिए अब तक का सबसे बड़ा कानूनी झटका माना जा रहा है। चार्जशीट में सैम पित्रोदा और सुमन दूबे का नाम भी शामिल है और अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 को होगी। तब तक सियासी गलियारों में तलवारें खिंच चुकी हैं।
केस की जड़
में
क्या
है?
नेशनल
हेराल्ड जिसकी नींव 1938 में पंडित नेहरू
ने रखी थी, आजादी
की लड़ाई का एक ऐतिहासिक
प्रतीक रहा। इसका संचालन
असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के तहत होता
था, जो अब यंग
इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के नियंत्रण में
है। सोनिया और राहुल गांधी
यंग इंडियन में 76% हिस्सेदारी रखते हैं। ईडी
का दावा है कि
यंग इंडियन ने सिर्फ 50 लाख
रुपये में एजेएल की
2,000 करोड़ की संपत्तियों पर
कब्जा किया, जो वित्तीय हेराफेरी
का स्पष्ट मामला है।
#DoTook | ED Charges Sonia, Rahul Gandhi in National Herald case
— DD News (@DDNewslive) April 15, 2025
BJP spokesperson Pradeep Bhandari provides detailed information regarding the National Herald case, in which the ED has filed a chargesheet against Rahul Gandhi and Sonia Gandhi
Catch Debate Live:… pic.twitter.com/A9wLhGccTz
ईडी की ताबड़तोड़
कार्रवाई
11 अप्रैल
को ईडी ने बड़ा
दांव खेलते हुए एजेएल और
यंग इंडियन की 661 करोड़ की संपत्तियों को
कुर्क करने की प्रक्रिया
शुरू की। दिल्ली का
प्रतिष्ठित हेराल्ड हाउस, मुंबई और लखनऊ की
प्रॉपर्टी के साथ-साथ
90 करोड़ के शेयर भी
जब्त किए गए। ईडी
का कहना है कि
इन संपत्तियों का इस्तेमाल "अवैध
कमाई" को बढ़ाने के
लिए हुआ, जिसमें 18 करोड़
के फर्जी दान और 29 करोड़
के फर्जी विज्ञापन शामिल हैं। यह कार्रवाई
कांग्रेस के लिए किसी
सुनामी से कम नहीं।
कांग्रेस का
गुस्सा
और
आक्रामक
रुख
कांग्रेस
ने इस कार्रवाई को
"सत्ता का दुरुपयोग" बताते
हुए बीजेपी पर जमकर हमला
बोला है। पार्टी प्रवक्ता
जयराम रमेश ने इसे
"नेहरू की विरासत को
मिटाने की साजिश" करार
दिया। कांग्रेस ने 16 अप्रैल 2025 को देशभर में
विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया
है, जिसमें कार्यकर्ता ईडी दफ्तरों और
केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों
पर उतरेंगे। पार्टी का कहना है
कि नेशनल हेराल्ड सिर्फ एक अखबार नहीं,
बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की भावना का
प्रतीक है।
सियासत का
पुराना
दांव?
यह मामला 2012 में बीजेपी नेता
सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से
शुरू हुआ जिन्होंने गांधी
परिवार पर वित्तीय अनियमितताओं
का आरोप लगाया था।
तब से यह केस
कांग्रेस के गले की
हड्डी बना हुआ है।
बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के
खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बता
रही है, तो कांग्रेस
इसे "विपक्ष को कुचलने की
चाल" करार दे रही
है। सवाल यह है
कि क्या यह सिर्फ
कानूनी कार्रवाई है, या 2024 के
लोकसभा चुनावों से पहले सियासी
चाल?
आगे की राह
25 अप्रैल
को होने वाली सुनवाई
में ईडी को अपने
सबूतों का पिटारा खोलना
होगा। तब तक यह
मामला न सिर्फ कोर्ट
की चौखट पर, बल्कि
जनता की नजरों में
भी छाया रहेगा। क्या
कांग्रेस इस संकट को
अपने पक्ष में मोड़
पाएगी या यह गांधी
परिवार के लिए सियासी
दलदल बन जाएगा? जवाब
के लिए हमें इंतजार
करना होगा।
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