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अखिलेश यादव ने लोकसभा के भाषण में फैजाबाद की हार पर भाजपा की आलोचना की


अखिलेश यादव ने लोकसभा में भाषण में फैजाबाद की हार पर भाजपा की आलोचना की

मंगलवार को लोकसभा में एक तीखे भाषण में समाजवादी पार्टी के प्रमुख और कन्नौज के सांसद अखिलेश यादव ने हाल ही में हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में फैजाबाद (अयोध्या) निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की चुनावी हार पर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की तीखी आलोचना की। यादव ने अयोध्या में जीत को भारतीय मतदाताओं की लोकतांत्रिक परिपक्वता का प्रमाण बताया।

 

यादव ने बताया कि भाजपा ने अयोध्या को एक सुरक्षित सीट माना है खासकर राम मंदिर के उद्घाटन के बाद। अपनी बात पर जोर देने के लिए यादव ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का एक दोहा सुनाया: "होए वही जो राम रचि राखा," सूक्ष्म रूप से यह सुझाव देते हुए कि राजनीतिक पैंतरेबाजी के बजाय ईश्वरीय इच्छा ने परिणाम निर्धारित किया।

 

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के अपने उत्तर के दौरान यादव ने भाजपा की आलोचना करने के लिए काव्यात्मक भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने संसद में एक मार्मिक कविता कही:

 

"हम अयोध्या से लाए हैं उनके प्रेम का पैगाम,

 

जो सच्चे मन से करते हैं सबका कल्याण,

 

सदियों से जन-जन गाता है जिनके गान...

 

मानवता के लिए उठता जिनका तीर कमान,

 

जो असत्य पर भी सत्य की जीत का है नाम।

 

उफनते नदी पर जो बढ़े मर्यादा के बान,

 

वो हैं अवध के राजा पुरुषोत्तम, प्रभु राम!

 

हम अयोध्या से लाए हैं उनके प्रेम का पैगाम।"

 

400 सीटें जीतने के भाजपा के आत्मविश्वास का मज़ाक उड़ाते हुए यादव ने कहा "आवाम ने हुकूमत का गुरुर तोड़ दिया, दरबार तो लगा पर बड़ा गमगीन बेनूर है सब," जो पार्टी के अहंकार और उसके बाद की निराशा को दर्शाता है। यादव ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर भी चिंता जताई और कहा "ईवीएम को खत्म होना ही है; सपा इसके लिए दबाव बनाती रहेगी। अगर मैं यूपी की 80 में से 80 सीटें भी जीत लूं तो भी मैं ईवीएम पर भरोसा नहीं करूंगा। ईवीएम का मुद्दा कभी खत्म नहीं होगा।"

उन्होंने सरकार पर युवाओं को नौकरी से वंचित करने के लिए पेपर लीक कराने का आरोप लगाया। भाजपा के बहुमत हासिल कर पाने पर कटाक्ष करते हुए यादव ने कहा "यह है उसका फैसला जिसकी लाठी में नहीं है आवाज जो करते किसी की लाने का दावा, वो खुद है किसी के सहारे को लाचार। हुजूर--आला आज तक खामोश बैठे हैं इसी ग़म में महफ़िल लूट ले गया कोई, जबकी सजाई हमने।"

 इसके अतिरिक्त यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गोद लिए गए वाराणसी गांव में विकास की कमी के लिए एनडीए सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि शहरी क्षेत्रों के बराबर विकास के दावों के बावजूद, गांव अविकसित हैं, सड़कें टूटी हुई हैं और अन्य बुनियादी सुविधाएं गायब हैं। भाषण में यादव की भाजपा को चुनौती देने तथा चुनावी पारदर्शिता और युवाओं को रोजगार देने की वकालत करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया।


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