समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने संसद से सेंगोल हटाने की मांग की

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समाजवादी पार्टी ने संसद से सेंगोल हटाने की मांग की

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पीकर की कुर्सी के पास स्थापित किए गए 'सेंगोल' ने इस हफ्ते संसदीय सत्र शुरू होते ही एक बार फिर राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। विपक्षी सांसद इसकी लोकतंत्र में प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं और इसे 'राजदंड' कह रहे हैं, जबकि भाजपा उन पर भारतीय संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगा रही है।

 

'सेंगोल' पर विवाद समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आरके चौधरी द्वारा स्पीकर ओम बिरला को लिखे गए पत्र से शुरू हुआ जो हाथ से बना हुआ लगभग पांच फीट लंबा सोने का पानी चढ़ा हुआ राजदंड है। मोहनलालगंज के सांसद ने तर्क दिया कि 'सेंगोल' की जगह संविधान की एक प्रति रखनी चाहिए।

चौधरी ने एएनआई से कहा "संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। रियासतों के शासन को समाप्त करने के बाद देश स्वतंत्र हुआ। देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से 'सेंगोल' को हटाया जाए।" उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री चौधरी ने "लोकतंत्र को बचाने" के लिए 'सेनगोल' की जगह संविधान की प्रति रखने की मांग की।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के सांसदों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा "जब सेंगोल की स्थापना की गई थी तो प्रधानमंत्री ने उसके सामने सिर झुकाया था। शपथ लेते समय शायद वह यह भूल गए हों। शायद हमारे सांसद की टिप्पणी उन्हें यह याद दिलाने के लिए थी," एएनआई ने बताया। यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर उल्लेखनीय सफलता हासिल की जिससे वह इस लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

 विपक्ष की आलोचना के जवाब में एक भाजपा नेता ने कहा, "समाजवादी पार्टी ने पहले रामचरितमानस पर हमला किया और उसका अपमान किया और अब वे सेंगोल को निशाना बना रहे हैं, जो भारतीय और विशेष रूप से तमिल संस्कृति का अभिन्न अंग है। डीएमके को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे 'संगोल' के प्रति इस अनादर का समर्थन करते हैं।"

 

संगोल के खिलाफ विपक्ष का विरोध नरेंद्र मोदी 3.0 को चुनौती देने के उनके व्यापक प्रयास का हिस्सा है। इस पूरे सत्र में संविधान विपक्ष के लिए एक प्रमुख प्रतीक रहा है। पहले दिन सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे शीर्ष नेताओं ने संविधान की प्रतियां लेकर संसद में प्रदर्शन किया। गांधी और यादव सहित कई विपक्षी सांसदों ने शपथ लेते समय संविधान की प्रतियां अपने साथ रखीं।


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