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प्रसिद्ध उर्दू शायर मुनव्वर राणा का 71 साल की उम्र में लखनऊ में निधन


प्रसिद्ध उर्दू शायर मुनव्वर राणा का 71 साल की उम्र में लखनऊ में निधन

साहित्य के प्रशंसकों के लिए एक मार्मिक क्षण में प्रसिद्ध उर्दू कवि मुनव्वर राणा का रविवार को 71 वर्ष की आयु में लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में निधन हो गया। 2017 से फेफड़ों और गले के संक्रमण के साथ-साथ बार-बार होने वाली किडनी की समस्याओं के कारण नियमित डायलिसिस की आवश्यकता के कारण लंबे समय तक संघर्ष करने के बाद प्रख्यात कवि की कार्डियक अरेस्ट से मृत्यु हो गई।

 

26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे मुनव्वर राणा को उर्दू साहित्य में उनके गहन योगदान के लिए जाना जाता है खासकर उनकी उत्कृष्ट ग़ज़लों के लिए, जिन्होंने साहित्यिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनके निधन के बावजूद राणा की विरासत उनके प्रतिष्ठित कार्यों के माध्यम से कायम रहेगी जो जीवन का सार दर्शाते हैं।

 

लखनऊ के पीजीआई अस्पताल की देखरेख में रहे कवि को अपने शानदार करियर के दौरान कई प्रशंसाएँ मिलीं। 2014 में राणा को उनकी कविता 'शाहदाबा' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हालाँकि 2015 में उन्होंने देश में 'असहिष्णुता' के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए पुरस्कार लौटा दिया। उर्दू साहित्य के प्रति उनके समर्पण को 2012 में शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान के साथ-साथ अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार जैसे अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।

 

मुनव्वर राणा का प्रभाव साहित्यिक क्षेत्रों से परे भी फैला, दुनिया भर में उनके प्रशंसकों ने उनकी काव्यात्मक अभिव्यक्तियों के माध्यम से जीवन की बारीकियों को पकड़ने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की। उनकी बहुप्रशंसित कविता 'मां' उर्दू साहित्य प्रेमियों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है।

पीएम मोदी ने पोस्ट किया श्री मुनव्वर राणा जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने उर्दू साहित्य और कविता में समृद्ध योगदान दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। उसकी आत्मा को शांति मिलें।

 

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा "देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन अत्यंत हृदय विदारक है। दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करता हूं। भावभीनी श्रद्धांजलि।"

 

कवि के परिवार को हाल के दिनों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अगस्त 2021 में मुनव्वर राणा के बेटे को रायबरेली पुलिस ने अपने खिलाफ फर्जी गोलीबारी की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके अलावा उनकी बेटी सुमैया राणा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं।

 

अगस्त 2020 में मुनव्वर राणा ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अयोध्या पर फैसला देने के लिए कथित तौर पर 'खुद को बेचने' का आरोप लगाकर विवाद पैदा कर दिया था। उन्होंने पुरजोर शब्दों में कहा कि यह न्याय नहीं बल्कि आदेश है। विवादों के बावजूद मुनव्वर राणा का उर्दू साहित्य में अद्वितीय योगदान एक स्थायी विरासत है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।


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