शर्मिष्ठा मुखर्जी का दावा है कि उनके पिता प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखते थे |
एक चौंकाने वाले खुलासे में दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता की अधूरी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का खुलासा करते हुए कहा कि वह भारत के प्रधान मंत्री बनने की इच्छा रखते थे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कांग्रेस पार्टी के भीतर उनके अधिकार के लिए संभावित चुनौती के बारे में सोनिया गांधी की आशंकाओं के कारण मुखर्जी की आकांक्षा बाधित हुई थी।
शर्मिष्ठा
ने अपने पिता का हवाला देते
हुए खुलासा किया "वह पीएम बनना
चाहते थे लेकिन वह
जानते थे कि वह
नहीं बन पाएंगे। इसलिए
वह इस भ्रम में
नहीं थे कि वह
एक दिन पीएम बनेंगे...मैंने उनसे एक बार पूछा
था कि क्या वह
ऐसा चाहते हैं।" मैं पीएम बनना चाहता हूं और उन्होंने हां
कह दी। उन्होंने कहा कि कोई भी
गंभीर राजनेता बनना चाहेगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है
कि मैं पीएम बन जाऊंगा।''
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि उनके पिता का मानना था कि सोनिया गांधी को उनसे अपनी सत्ता के लिए संभावित चुनौती का आभास हो गया होगा। "जब मैंने पूछा कि क्या उन्होंने यह कदम उठाया होगा तो उनकी प्रतिक्रिया थी कि महत्वपूर्ण पहलू यह नहीं था कि वह व्यक्तिगत रूप से इसका विरोध करेंगे या नहीं बल्कि यह था कि सोनिया गांधी किसी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया जिसके बारे में उन्हें लगा कि वह उनकी सत्ता को चुनौती नहीं देगा।''
इस
रहस्योद्घाटन की पृष्ठभूमि 2004 से
मिलती है जब कांग्रेस
पार्टी की जीत के
बावजूद सोनिया गांधी ने प्रधान मंत्री
का पद अस्वीकार कर
दिया था। उस दौरान प्रणब
मुखर्जी और मनमोहन सिंह
इस प्रतिष्ठित भूमिका के लिए प्रमुख
दावेदार के रूप में
उभरे। अंततः कांग्रेस पार्टी ने मनमोहन सिंह
को चुना जिससे प्रणब मुखर्जी की आकांक्षाएँ पूरी
नहीं हो सकीं। नतीजतन
प्रणब मुखर्जी को अक्सर "भारत
को ऐसा प्रधानमंत्री कभी नहीं मिला" के रूप में
याद किया जाता है।
#WATCH | Gurugram: On being asked if his father wanted to be the Prime Minister, Author and Daughter of former President Pranab Mukherjee, Sharmistha Mukherjee says, "Yes, he wanted to become the PM, but he knew that he couldn't become one, so he was not in some disillusionment… pic.twitter.com/5PSu0e4UTp
— ANI (@ANI) December 6, 2023
यह
रहस्योद्घाटन उस समय कांग्रेस
पार्टी के भीतर की
जटिल गतिशीलता पर प्रकाश डालता
है उन जटिल निर्णयों
और विचारों को प्रदर्शित करता
है जिन्होंने प्रधान मंत्री के चयन को
प्रभावित किया।
शर्मिष्ठा
मुखर्जी का रहस्योद्घाटन भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर नेतृत्व
परिदृश्य को आकार देने
वाली राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और वास्तविकताओं की
एक दुर्लभ झलक पेश करता है जो प्रणब
मुखर्जी की राजनीतिक यात्रा
की कहानी में एक नया आयाम
जोड़ता है।