सावन सोमवार भगवान शिव को समर्पित महीना है जो भक्तों के लिए उपवास और पूजा करने का एक आकर्षक समय है। भगवान शिव के पसंदीदा महीने के रूप में जाना जाने वाला यह दिव्य काल अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है और दुनिया भर के अनुयायियों द्वारा इसका बेसब्री से इंतजार किया जाता है। आइए और सावन सोमवार से जुड़ी मनमोहक पौराणिक कथाओं का अन्वेषण करें और उन कहानियों की खोज करेंगे जो इस महीने को और भी रहस्यमय बनाती हैं।
माता पार्वती
का
पवित्र
व्रत:
वैवाहिक
सुख
का
मार्ग
पौराणिक कथा:
सावन
सोमवार से जुड़ी सबसे
प्रिय कहानियों में से एक माता
पार्वती द्वारा भगवान शिव से विवाह करने
की चाह में एक विशेष व्रत
रखने के इर्द-गिर्द
घूमती है। जैसा कि किंवदंती है
माता पार्वती ने सोमवार (सावन
सोमवार) के व्रत के
अनुष्ठान का पालन करते
हुए सावन के महीने में
कठिन तपस्या शुरू की। उनके समर्पण और अटूट भक्ति
ने भगवान शिव को प्रभावित किया
जिससे अंततः उनका दिव्य मिलन हुआ। इस पौराणिक कथा
से प्रेरित होकर अविवाहित लड़कियों सहित महिलाएं समृद्ध वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद पाने
के लिए सावन सोमवार का व्रत करती
हैं।
विस्तारित व्रत:
सावन
सोमवार
और
अधिक
मास
भक्ति की
विस्तारित
अवधि:
2023 में
सावन सोमवार का महीना एक
विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसमें
एक अतिरिक्त महीना शामिल है जिसे अधिक
मास के रूप में
जाना जाता है। यह दुर्लभ संयोग
भक्तों को धार्मिक अनुष्ठान
के लिए एक विस्तारित अवधि
प्रदान करता है जिससे उन्हें
भगवान शिव और देवी पार्वती
के साथ अपने आध्यात्मिक बंधन को मजबूत करने
का एक अनूठा अवसर
मिलता है। सावन और अधिक मास का संयोजन इस वर्ष
के सावन सोमवार के महत्व को बढ़ा देता है जिससे यह अत्यधिक भक्ति और श्रद्धा का समय
बन जाता है।
पूजा अनुष्ठान:
भगवान
शिव
और
देवी
पार्वती
का
सम्मान
करना
भक्त की
यात्रा:
सावन
सोमवार के दौरान पूजा
अनुष्ठानों में भगवान शिव और देवी पार्वती
के प्रति भक्ति की गहन अभिव्यक्ति
शामिल होती है। भक्त अपने दिन की शुरुआत जल्दी
उठकर शुद्ध स्नान करके उपवास करने और दिव्य जोड़े
की पूजा करने का संकल्प लेकर
करते हैं। शिव मंदिर में जाकर वे भगवान शिव
और माता पार्वती की मूर्तियों का
पंचामृत से अभिषेक करते
हैं उन्हें पवित्र गंगाजल से स्नान कराते
हैं और प्यार से
उन्हें कपड़े से साफ करते
हैं। भोलेनाथ पर दूध, दही, घी, गंगाजल और
शहद से बना पंचामृत चढाएं जाते हैं। भगवान
शिव को सफेद चंदन, सफेद फूल धतूरा, बेलपत्र और सुपारी अर्पित किये जाते हैं। फिर भगवान शिव और माता पार्वती
को उत्तम श्रृंगार से सजाया जाता
है जिनमे चुनरी, मेहंदी, चूड़ियाँ और एक पवित्र
धागा शामिल हैं। भक्त भोग के रूप में
मिठाई और फल चढ़ाकर
अपना आभार भी व्यक्त करते
हैं।
आध्यात्मिक अभ्यास:
ईश्वरीय
कृपा
का
मार्ग
व्रत एवं
मंत्र
जाप:
सावन मास
में सोमवार का व्रत रखने के लिए पहले आपको सुबह-सुबह नित्य क्रियाओं से मुक्त होकर
स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए।
1.
अपने
घर में स्थित मंदिर के सामने जाकर दाहिने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
2.
फिर
भगवान शिव की मूर्ति पर गंगाजल और पंचामृत से उनका जलाभिषेक करें।
3.
भोलेनाथ
के लिए दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद से बना पंचामृत चढ़ाएं।
4.
भगवान
शिव के सामने सफेद चंदन, सफेद फूल, धतूरा, बेलपत्र और सुपारी अर्पित करें।
5.
भगवान
की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं।
6.
सावन सोमवार व्रत की कथा का पाठ करें।
7.
कथा
समाप्त होने पर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
सावन
सोमवार में दिए गए महामृत्युंजय मंत्र
का जाप करना चाहिए :
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं
पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय
मामृतात्॥
महामृत्युंजय
मंत्र भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने
वाला एक विशेष मंत्र
है। इस मंत्र का
उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद
तक में मिलता है। कहा जाता है कि यदि
कोई व्यक्ति भयमुक्त, रोगमुक्त जीवन चाहता है और अकाल
मृत्यु के डर से
खुद को दूर करना
चाहता है तो उसे
'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करना
चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय
मंत्र माना जाता है। इस मंत्र के
जाप से मनुष्य की
सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म
हो जाती हैं। शिवपुराण और अन्य ग्रंथों
में भी इसके महत्व
के बारे में विस्तार से बताया गया
है। शिवपुराण के अनुसार महामृत्युंजय
मंत्र के जाप से
व्यक्ति को संसार के
सभी कष्टों से मुक्ति मिलती
है।
सावन
भगवान शिव का प्रिय महीना
दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने और शाश्वत जोड़े
भगवान शिव और देवी पार्वती
के साथ बंधन को मजबूत करने
का एक पवित्र अवसर
प्रदान करता है। सावन और अधिक मास के संयोजन ने इस वर्ष के सावन सोमवार के महत्व को बढ़ा दिया है
जिससे यह अत्यधिक भक्ति और श्रद्धा का समय बन गया है। यह भक्तों के लिए गहन आध्यात्मिक
यात्रा शुरू करने और दिव्य जोड़े से आशीर्वाद लेने का एक असाधारण अवसर है।