नई
दिल्ली - भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) ने लोकसभा में
मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास
प्रस्ताव लाने का फैसला किया
है। यह कदम 2003 में
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली
एनडीए सरकार के खिलाफ आखिरी
अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के 20 साल बाद उठाया गया है।
In today's meeting, I.N.D.I.A parties discuss proposal to move no-confidence motion against govt: Sources https://t.co/EC22lOdE7r
— ANI (@ANI) July 25, 2023
घटनाक्रम से जुड़े करीबी सूत्रों से पता चला है कि सभी विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लाने के फैसले पर एकजुट हैं। साथ ही वे राज्यसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को घेरने की रणनीति भी बना रहे हैं।
संसद
के चल रहे मानसून
सत्र में लगातार चौथे दिन व्यवधान का सामना करना
पड़ा, विपक्षी दलों ने मणिपुर में
जातीय हिंसा पर प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी के बयान की
मांग की। संघर्षग्रस्त मणिपुर की स्थिति गर्म
बहस का विषय रही
है जिससे विपक्ष को प्रधान मंत्री
की प्रतिक्रिया मांगने और मामले पर
विस्तृत चर्चा शुरू करने के लिए प्रेरित
किया गया है।
सत्ता
पक्ष के एक प्रमुख
व्यक्ति प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष के
इस कदम पर प्रतिक्रिया देते
हुए कहा, "हमारे पहले कार्यकाल के दौरान भी
(विपक्ष) हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था और 2019 में
हमारी सीटें 282 से बढ़कर 303 हो
गईं। उन्हें इस बार भी
अविश्वास प्रस्ताव लाने दीजिए और हम 350 से
अधिक सीटें जीतेंगे।"
#WATCH | Parliamentary Affairs Minister Pralhad Joshi says, "PM Modi said that this time also on August 15, 'Har Ghar Tiranga' program should be organised and programs will be organised in every Assembly constituency... During our first term also (Opposition) brought a… pic.twitter.com/okqL319rFd
— ANI (@ANI) July 25, 2023
गौरतलब
है कि 2018 में तेलुगु देशम पार्टी ने सरकार के
खिलाफ इसी तरह का प्रस्ताव लाने
का प्रयास किया था, लेकिन उस पर कोई
चर्चा या वोटिंग नहीं
हो पाई थी।
अविश्वास
प्रस्ताव की घोषणा से
पहले विभिन्न विपक्षी दलों के फ्लोर नेताओं
ने अपने दृष्टिकोण की रणनीति बनाने
के लिए एक बैठक बुलाई।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन
खड़गे के कक्ष में
आयोजित बैठक का उद्देश्य मणिपुर
मुद्दे पर विपक्ष और
सरकार के बीच चल
रहे गतिरोध को दूर करने
के तरीके खोजना था।
कांग्रेस
और अन्य विपक्षी दल मणिपुर की
स्थिति पर गहन चर्चा
की मांग पर अड़े हुए
हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी से बयान की
मांग कर रहे हैं।
20 जुलाई को संसद के
मानसून सत्र की शुरुआत के
बाद से लोकसभा और
राज्यसभा दोनों में उनके विरोध और नारेबाजी के
कारण लगातार स्थगन हुआ है।
अविश्वास
प्रस्ताव के अलावा विपक्षी
दलों ने राज्यसभा सभापति
से आम आदमी पार्टी
नेता संजय सिंह का निलंबन रद्द
करने की अपील की
है। सोमवार को सिंह का
निलंबन सभापति के निर्देशों का
"बार-बार उल्लंघन" करने के कारण हुआ।
विपक्षी
दलों की बैठक में
कांग्रेस से जयराम रमेश
और प्रमोद तिवारी, आम आदमी पार्टी
से राघव चड्ढा और तृणमूल कांग्रेस
से डेरेक ओ'ब्रायन सहित
प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।
नेताओं ने आने वाले
दिनों में अपनाई जाने वाली रणनीति पर सामूहिक निर्णय
पर चर्चा की। अविश्वास
प्रस्ताव और मणिपुर की
स्थिति पर प्रधानमंत्री के
बयान की चल रही
मांग के साथ आने
वाले दिनों में संसद की कार्यवाही राजनीतिक
उत्साह और गहन बहस
से भरी होने की उम्मीद है।