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भारतीय संसद में 'अखंड भारत' म्यूरल (Mural) को लेकर विवाद सरकार द्वारा खारिज

 

सरकार ने स्पष्ट किया कि म्यूरल (Mural)अशोक साम्राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, राजनीतिक एजेंडा का नहीं

 

सरकार ने नए उद्घाटन किए गए संसद भवन में एक म्यूरल (Mural) को लेकर चल रहे विवाद को खारिज कर दिया है जिस पर नेपाल के राजनीतिक नेताओं ने नाराजगी जताई है। म्यूरल जिसके बारे में कई भाजपा नेताओं ने दावा किया कि वह 'अखंड भारत' (अविभाजित भारत) के संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है जो तक्षशिला (वर्तमान में पाकिस्तान में) और लुम्बिनी (नेपाल में) सहित अतीत के महत्वपूर्ण राज्यों और शहरों को प्रदर्शित करता है।

 

विदेश मंत्रालय : म्यूरल (Mural) में अशोकान साम्राज्य का चित्रण है

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्रियों बाबूराम भट्टराई और केपी शर्मा ओली जिन्होंने कपिलवात्सु और लुंबिनी को म्यूरल देखने के बाद चेतावनी दी कि इससे "अनावश्यक और हानिकारक राजनयिक विवाद" हो सकते हैं। हालाँकि विदेश मंत्रालय ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी, " उल्लेखित मुरल में अशोक साम्राज्य के प्रसार का चित्रण है।"

नेपाल के प्रधानमंत्री का दौरा विवादों से घिरा

 

यह विवाद नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ''प्रचंड'' की चल रही यात्रा के दौरान शुरू हुआ। वह चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बुधवार को भारत पहुंचे और गुरुवार को अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिन्होंने नेपाल के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

 

नेपाली नेताओं ने जताई चिंता, सरकार ने खारिज किया विवाद

 

पूर्व प्रधान मंत्री बाबूराम भट्टाराई ने चिंता व्यक्त करते हुए ट्विटर पर कहा कि म्यूरल में भारत और उसके तत्काल पड़ोसियों के बीच पहले से ही द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाले विश्वास की कमी को और खराब करने की क्षमता है। पूर्व प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली ने इसे अनुचित बताते हुए भारतीय संसद में 'अखंड भारत' म्यूरल की स्थापना की आलोचना की। हालांकि सरकार ने यह कहते हुए विवाद को खारिज कर दिया है कि म्यूरल अशोक साम्राज्य के ऐतिहासिक प्रसार का प्रतिनिधित्व करता है और राजनीतिक के बजाय जन-केंद्रित होने का इरादा रखता है।   

 

म्यूरल स्पष्ट रूप से मौर्य वंश के तीसरे सम्राट अशोक के साम्राज्य को अपने चरम पर दर्शाती है। अपने चरम पर अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में बांग्लादेश तक फैला हुआ था जिसमें केरल और तमिलनाडु को छोड़कर लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ आधुनिक श्रीलंका भी शामिल था।

 

भाजपा नेताओं ने शेयर की कलाकृति, अखंड भारत पर दिया जोर

 

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी सहित कई भाजपा नेताओं ने नए संसद भवन के अंदर की कलाकृति को 'अखंड भारत' के संकल्प के प्रतीक के रूप में व्याख्या करते हुए साझा किया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट किया, संकल्प स्पष्ट है- अखंड भारत। मुंबई नॉर्थ-ईस्ट से लोकसभा सदस्य मनोज कोटक ने कहा, "नई संसद में अखंड भारत। यह हमारे शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करता है।"

 

'अखंड भारत' पर आरएसएस का नजरिया

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 'अखंड भारत' को एक "सांस्कृतिक अवधारणा" के रूप में वर्णित करता है और स्वीकार करता है कि इसका भौगोलिक विस्तार प्राचीन काल में बहुत व्यापक था, जिसमें वर्तमान अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं। हालांकि अब आरएसएस का कहना है कि स्वतंत्रता के दौरान धार्मिक आधार पर भारत के विभाजन को देखते हुए इस अवधारणा को एक राजनीतिक संदर्भ के बजाय एक सांस्कृतिक संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

 

अब तक, सरकार ने विवाद को खारिज कर दिया है यह कहते हुए कि भित्ति चित्र अशोक साम्राज्य के ऐतिहासिक प्रसार का प्रतिनिधित्व करता है और इसका उद्देश्य राजनीतिक के बजाय जन-केंद्रित होना है।

म्यूरल क्या हैं?

म्यूरल या भित्ति चित्र एक बड़े चित्र होते हैं  जो सीधे दीवार या छत पर चित्रित किए जाते हैं या चिपकाए जाते हैं। भारत में म्यूरल चित्रों की प्रथा बहुत पुरानी है। इनकी शुरुआत उस समय हुई थी जब मानव ने गुफाओं की दीवारों पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके अपने जीवन से संबंधित चित्र बनाने की शुरुआत की, लेकिन तब से अब तक भित्ति चित्रों में काफी परिवर्तन हुआ है।

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